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जापान की सांस्कृतिक धरोहरों में साके का विशेष स्थान है। साके जापान का पारंपरिक पेयदान है और इसका इतिहास हजारों साल पुराना है। जापानी साके न केवल एक पेय पदार्थ है, बल्कि उसकी संस्कृति में महत्त्वपूर्ण भूमिका है। इस लेख में, हम साके के महत्त्व और इसकी संस्कृतिक महत्वता पर विचार करेंगे।
साके का इतिहास
साके का इतिहास बहुत प्राचीन है और इसका पता 3,000 ईसा पूर्व के यजुर्वेद से मिलता है। साके को पहले “मिण” नामक द्रव्य के रूप में बनाया जाता था, जो बर्फ जम जाने पर शराबी थी। बाद में, इसे “साके” कहा जाने लगा और यह जापानी सांस्कृतिक और धार्मिक अनुष्ठानों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया।
साके की उत्पत्ति और प्रकार
साके की उत्पत्ति बर्फ में जमने वाले बल्ब को खोदकर होती है, जिसे पोलिश करके साके बनाया जाता है। इसकी विशेषता यह है कि इसे 20 से 60 दिनों तक ठंडे जल में पकाया जाता है, जिससे उसकी खास स्वाद और गंध बनती है। साके कई विभिन्न प्रकार से बनाया जाता है, जिसमें जुनमाई, दा, जुंग, निगोरी, हनजो, कुटा, तोजै आदि शामिल हैं। हर प्रकार की साके की अपनी विशेषता होती है और उसे अलग-अलग अवस्थाओं में पीने की सिफारिश की जाती है।
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